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Mohini Ekadashi Vrat Katha, Katha Padne se hi milenge Sahastra Godan ka Punye.

by devkaaj, 18 May 2024

^eksfguh ,dkn’kh^ dk ozr lHkh ozrksa esa lcls mRre ozr ekuk tkrk gSA tks fd oS’kk[k ekl ds ‘kqDyi{k dh ,dkn’kh dks iMrk gSA

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in~e iqjk.k o पौराणिक मान्यता के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन किया गया तो उससे अमृत कलश की प्राप्ति हुई। देवता और दानव दोनों ही पक्ष अमृत पान करना चाहते थे] जिसकी वजह से अमृत कलश की प्राप्ति को लेकर देवताओं और असुरों में विवाद छिड़ गया। विवाद की स्थिति इतनी बढ़ने लगी कि युद्ध की तरफ अग्रसर होने लगी। ऐसे में इस विवाद को सुलझाने और देवताओं में अमृत वितरित करने के लिए भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया। 

इस सुंदर स्त्री का रूप देखकर असुर मोहित हो उठे। इसके बाद मोहिनी रूप धारण किए हुए विष्णु जी ने देवताओं को एक कतार में और दानवों को एक कतार में बैठ जाने को कहा और देवताओं को अमृतपान करवा दिया। अमृत पीकर सभी देवता अमर हो गए। जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था] उस दिन वैशाख मास की शुक्ल एकादशी तिथि थी। इस दिन विष्णु जी ने मोहिनी रूप धारण किया था] इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा की जाती है।

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भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा, गंगाजल, चौकी, सुपारी, तुलसी, नारियल, ihyk चंदन, पीला कपड़ा, आम के पत्ते, कुमकुम, ekSyh, फूल, मिठाई, अक्षत, लौंग, पंचमेवा, धूप, दीप, फल

मोहिनी एकादशी की पूजाविधि

एकादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें। भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरुप को मन में ध्यान करते हुए रोली] मोली] पीले चन्दन] अक्षत] पीले पुष्प] फल] मिष्ठान आदि भगवान विष्णु को अर्पित करें। फिर धूप&दीप से श्री हरि की आरती उतारें और मोहिनी एकादशी की कथा पढ़ें। इस दिन % नमो भगवते वासुदेवाय%^ का जप एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी है। इस दिन भक्तों को परनिंदा] छल&कपट] लालच] द्धेष की भावनाओं से दूर रहकर] श्री नारायण को ध्यान में रखते हुए भक्तिभाव से उनका भजन करना चाहिए।

व्रत के दौरान इन बातों का ध्यान j[kuk pkfg,%&

·         मोहिनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते uk rksMsaA

·         मोहिनी एकादशी का उपवास निर्जला j[kk tkrk gSA

·         मोहिनी एकादशी पर सुबह जल्दी स्नान djsa] इस दिन साबुन से नहीं ugka,A

·         मोहिनी एकादशी को चावल से बनी चीजों का सेवन uk djsaA

·         भगवान विष्णु के जब भोग लगाएं तो तुलसी की पत्तियां जरूर MkysaA

·         तामसिक चीजों मांस] शराब] लहसुन] प्याज का सेवन uk djsaA

·         पूजा&पाठ और धर्म से जुड़े कार्य करने चाहिए] गरीबों dks दान djsaA

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of'k"Bth cksys% Jhjke! rqeus cgqr mRre ckr iwNh gSA euq"; rqEgkjk uke ysus ls gh lc ikiksa ls 'kq) gks tkrsa gSaA rFkkfi yksxksa ds fgr dh bPNk ls eSa ifo=ksa esa ifo= mRrr ozr dk o.kZu d:axkA os'kk[k ekl ds 'kqDyi{k esa tks ,dkn'kh gksrh gS

सरLवती नदी के रमणीय तट पर Hkznkorh नाम की सुन्दर नगरी है वहाँ धृfतमान नामक राजा] जो Unzवंश में उत्पन्न और सत्यizfrK थे] राT करते थे। उसी नगर में एक वै'; रहता था] जो धन धान्य से ifjiw.kZ और e`)शाली था। उसका नाम था धनपाल वह सदा पुण्यकमZ में ही लगा रहता था wसरों के fलए पौसला प्याऊ] कुआँ] मठ] बगीचा] पोखरा और घर बनवाया करता था भगवान fo".kq की HkfDr में उसका हाfZd अनुराग था वह सदा शान्त रहता था उसके पाँच पु= थे%  सुमना] धुfतमान] मेघावी] सुकृत तथा /k`"Vcqf) /k`"Vcqf) पाँचवाँ था वह सदा बड़े बड़े पापों में ही संलग्न रहता था जुए vkfn nqO;Zluksa में उसकी बड़ी आसfDr थी वह वे'याओं से fमलने के fलए लालाfयत रहता था। उसकी बुf) तो देवताओं के पूजन में लगती थी और fiतरों तथा czkg.kksa के सत्कार में वह nq"VkRek अन्याय के मागZ पर चलकर fपता का धन बबाZ fकया करता था। एक fदन वह वे'या के गले में बाँह डाले चौराहे पर घूमता देखा गया तब fपता ने उसे घर से fनकाल fदया तथा बन्धुबान्धवों ने भी उसका ifjत्याग कर fदया अब वह fदन रात nq[k और शोक में डूबा तथा "V पर "V उठाता q इधर उधर भटकने लगा एक fदन fकसी पुण्य के उदय होने से वह महfZ कौfण्डन्य के J पर जा पहुँचा वैशाख का महीना था तपोधन कौfण्डन्य गंगाजी में Lनान करके आये थे धृ"Vबुf) शोक के भार से पीfड़त हो मुfनवर कौfण्डन्य के पास गया और हाथ जोड़ सामने खड़ा होकर बोला % czkgE.k! f}tJs"B! मुझ पर दया करके कोई ऐसा ozr बताइये] fजसके पुण्य के izHkko से मेरी मुfDr हो

कौfण्डन्य बोले%  वैशाख के शुक्लपक्ष में मोfहनी नाम से izfl) एकादशी का ozr करो

मोfहनी ,dkn'kh को उपवास करने पर izkf.k;ksa के अनेक जन्मों के fdये हुए मेरु पवर्त जैसे महापाप भी "V हो जाते हैंA

Okf'k"Bth कहते है %

JhjkepUnzth! eqfu का यह वचन सुनकर /k`"Vcqf) का fpr izlUu हो गया उसने कौfण्डन्य के उपदेश से विf/kपूवर्क मोfहनी एकादशी का ozr fकया नृपJs"B ! इस ozr के करने से वह fu"पाप हो गया और fदव्य देह धारण कर गरुड़ पर आरुढ़ हो सब izdkj के minzoksa से fहत Jhfo".kq/kke को चला गया इस izdkj यह मोfहनी ,dkn'kh का ozr बहुत Rr है इसके पढ़ने और सुनने से सहL= गौदान का फल fमलता है

 

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी@iwtk सामग्री@गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों@ज्योतिषियों@पंचांग@मान्यताओं@धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना हैA इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें।

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